♟️ 12. शतरंज में मात ♟️
तेनालीरामन की चतुराई और हास्य की कहानी!
नाटक का सारांश
“शतरंज में मात” एक हास्यप्रधान नाटक है, जिसमें दरबारी तेनालीरामन से ईर्ष्या कर राजा को उसके खिलाफ भड़काते हैं। राजा और तेनाली के बीच शतरंज का खेल आयोजित होता है। तेनाली हार का नाटक कर राजा को क्रोधित करता है। राजा दंडस्वरूप तेनाली का मुंडन कराने की आज्ञा देते हैं, परंतु तेनाली चतुराई से मुंडन भी टाल देता है और अंततः राजा प्रसन्न हो जाते हैं।
प्रश्नोत्तर (कहानी पर आधारित)
(क) दरबारी तेनाली से ईर्ष्या क्यों करते थे?
उत्तर: क्योंकि राजा उनकी बहुत प्रशंसा करते थे और तेनाली चतुराई से सबका प्रिय था।
(ख) दरबारियों ने राजा से तेनाली के बारे में क्या कहा?
उत्तर: कि तेनाली शतरंज का अद्भुत खिलाड़ी है और उसने बड़े-बड़े खिलाड़ियों को मात दी है।
(ग) राजा को तेनाली पर शतरंज खेलते समय क्रोध क्यों आया?
उत्तर: क्योंकि तेनाली जानबूझकर हारने का नाटक कर रहा था, जिससे राजा को लगा कि वह उनका अपमान कर रहा है।
(घ) तेनाली ने मुंडन से बचने के लिए क्या उपाय किया?
उत्तर: उसने कहा कि उसके बालों पर पाँच हजार अशर्फियाँ उधार हैं और उनका ऋण चुकाए बिना वह मुंडन नहीं कर सकता।
किसने किससे कहा?
| कथन | किसने | किससे |
|---|---|---|
| “शतरंज? क्या तेनाली शतरंज के शौकीन हैं?” | राजा | दरबार में |
| “और यह है मेरा दाँव।” | तेनाली | राजा से |
| “अरे, इतने महान आदमी का मुंडन!” | नाई | स्वयं से / दर्शकों से |
| “हाँ महाराज, बड़े-बड़ों को मात दी है तेनाली ने।” | पहला दरबारी | राजा से |
| “उठो, उठो! तुम्हें कोई दंड नहीं मिल रहा है।” | राजा | नाई से |
मिलान कीजिए (शब्द और अर्थ)
| शब्द | अर्थ |
|---|---|
| प्रशंसा | बड़ाई |
| युक्ति | उपाय |
| मात | हार |
| घाघ | चालाक |
| मास्टर | कुशल |
| न्योता | आमंत्रण |
रिक्त स्थान पूर्ति (विशेषणों से)
- कुशल खिलाड़ी
- चतुर तेनाली
- नई चाल
- महान आदमी
- गूढ़ चाल
- पाँच हजार अशर्फियाँ
भावों को दर्शाने वाले संवाद
| मनोभाव | संवाद (उदाहरण) |
|---|---|
| प्रसन्न | “महाराज, आप दीर्घायु हों!” |
| चकित | “शतरंज और मैं! मुझे कुछ नहीं आता।” |
| शांत | “मैं आपकी भलाई के लिए प्रार्थना कर रहा हूँ।” |
| दुखी | “मुंडन? इससे बड़ा अपमान क्या होगा?” |
नाटक पर चर्चा (सोचिए और लिखिए)
प्रश्न: अगर तेनाली शतरंज जानते होते तो नाटक का अंत क्या होता?
उत्तर: संभवतः तेनाली राजा को चतुराई से मात देता और दरबारी खुद लज्जित होते।
प्रश्न: क्या आपने कभी किसी कठिन परिस्थिति को संभाला है?
उत्तर: (छात्र स्वयं के अनुभव के आधार पर उत्तर देंगे)
शब्द निर्माण (आ से शुरू होने वाले शब्द)
| संकेत | शब्द |
|---|---|
| (क) किसी को बुलाना | आमंत्रण |
| (ख) "जाना" का विपरीत | आना |
| (ग) कृतज्ञता प्रकट करना | आभार |
| (घ) वस्तु का पहुँचना | आगमन |
| (ङ) बहुत जरूरी | आवश्यक |
♟️ शतरंज के मोहरों की चाल
| मोहरा | चाल |
|---|---|
| घोड़ा | एल आकार में चलता है |
| हाथी | सीधी रेखा में चलता है (आड़ा-सीधा) |
| मंत्री | किसी भी दिशा में, किसी भी दूरी तक |
| राजा | एक कदम किसी भी दिशा में |
| ऊँट | तिरछी दिशा में चलता है |
| प्यादा | सीधा आगे, पहले कदम पर दो घर तक |
खेल पहचान (चित्र मिलान)
| खेल | स्थानीय नाम (उदाहरण) |
|---|---|
| लट्टू | भंवर या बिंदी |
| साँप-सीढ़ी | सापलड़ी |
| राजा-मंत्री-चोर-सिपाही | जनरल गेम |
| गुट्टे | पच्चिका (ग्रामीण क्षेत्र) |
| अष्टा-चक्कन | सात पत्थर / लंगड़ी |
नाटक मंचन सुझाव
- पात्रों के संवाद का अभ्यास कराएं।
- यदि मंचन संभव न हो तो विभिन्न पात्रों के संवाद विद्यार्थी अपने स्थान से ही बोलें।
- तेनाली और राजा की भूमिकाएँ विशेष अभ्यास से प्रस्तुत करें।
- भाव-भंगिमा के साथ संवाद अदायगी पर ध्यान दें।
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